सखा वार्ता
Author: Raushan Jha
Professionally a Teacher, Passionately a Poet.
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अन्तः - छद्म (प्रथम सर्ग)
अन्तः - छद्म (प्रथम सर्ग)
आज का मानव, मानव नहीं रहा। मानवता तो है ही नहीं। बस सभी निरर्थक मोह के पीछे भाग रहे हैं, जिसे वो धन कहते हैं। क्या सच, वही है धन ?
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माँ

सम्पूर्ण पुस्तक
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- रौशन झा